Humayun’s Tomb : यह मकबरा भारतीय उपमहाद्वीप का पहला मकबरा है । आगरा का ताजमहल भी इसी से प्रेरित है । इसे मुगल बादशाह हुमायूं की पत्नी हमीदा बानू बेगम के अनुरोध पर पारसी वास्तुकार मीराक मिर्जा घियाथ ने डिजाइन किया था।
Humayun’s Tomb, Delhi : हुमायूं का मकबरा दिल्ली के प्रमुख ऐतिहासिक पर्यटक आकर्षणों में से एक है , जिसकी वास्तुकला आपको अपनी ओर आकर्षित कर सकती है । इस खूबसूरत मकबरे का निर्माण मुगल सम्राट हुमायूं की याद में उनकी पहली पत्नी हाजी बेगम ने करवाया था । अगर कोई दिल्ली की खूबसूरती को गहराई से निहारना चाहता है, तो उसको हुमायूं के मकबरे जरूर जाना चाहिए।
Humayun’s Tomb: हुमायूं के मकबरे का इतिहास
इस ऐतिहासिक इमारत का इतिहास मुगल साम्राज्य से गहराई से जुड़ा हुआ है । उल्लेखनीय है कि इस शानदार और बेहतरीन मकबरे का निर्माण महारानी बेगा बेगम ने करवाया था , जिन्हें हाजी बेगम के नाम से भी जाना जाता है, जो बादशाह हुमायूं की पहली पत्नी थीं। इस मकबरे का निर्माण उनके पति हुमायूं की याद में करवाया गया था।
गौरतलब है कि मुगल शासक हुमायूं का निधन 1556 में हुआ था और इस इमारत का निर्माण 1565 में शुरू हुआ था , जिसे पूरा होने में करीब आठ साल लगे थे । इसलिए, यह 1572 तक बनकर तैयार हो गया था । यह भी उल्लेखनीय है कि इस मकबरे के मुख्य वास्तुकार मीराक मिर्जा गियास थे , जो एक फारसी वास्तुकार थे।
Humayun’s Tomb: हुमायूं के मकबरे की वास्तुकला
इस भव्य मकबरे का डिज़ाइन मीराक मिर्ज़ा ग़ियास ने तैयार किया था , जो एक फ़ारसी वास्तुकार थे और उन्हें बेगम ने खुद चुना था । यह मुगल वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है जिसमें भारतीय और फ़ारसी शैलियों के तत्व शामिल हैं । 154 फ़ीट ऊँचा और 299 फ़ीट चौड़ा यह विशाल मकबरा मुख्य रूप से लाल बलुआ पत्थर से बना है जबकि दोहरे स्तर वाले गुंबद के लिए सफ़ेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है ।
शाही मकबरे के रूप में डिज़ाइन की गई इस संरचना की दीवारों के अंदर 124 छोटे गुंबददार कक्ष हैं । चारबाग में मकबरे की संरचना के चारों ओर का बगीचा फ़ारसी शैली में चतुर्भुज लेआउट के साथ डिज़ाइन किया गया है । इसमें कई पक्के रास्ते , पानी के चैनल , स्नानघर और एक मंडप शामिल हैं । मकबरे के चारदीवारी के भीतर , दो प्रवेश द्वार हैं , एक दक्षिण की ओर और दूसरा पश्चिम की ओर। इस मकबरे को बनाने में करीब 15 लाख रुपए का खर्च आया था।
Humayun’s Tomb: मुग़ल शासकों के परिजनों की कब्र भी हैं यहाँ
- मकबरे के आसपास के बगीचे पारसी कला की भावना पैदा करते हैं। – हुमायूं के अलावा मुगल शासकों के करीब 150 रिश्तेदारों की कब्रें भी इस मकबरे में हैं ।
- इनमें बाबर और ईसा खान की कब्रें शामिल हैं । ये सभी कब्रें हुमायूं के मकबरे के सामने वाले बगीचे में स्थित हैं ।
- यूनेस्को ने 1993 में इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था ।
- 30 एकड़ में फैले इस मकबरे में कई लोगों की कब्रें हैं , लेकिन हुमायूं का मकबरा यहां का मुख्य स्थल है ।
- बेगम हमीदा बानो का मकबरा भी हुमायूं के मकबरे के पास स्थित है ।
- इसके साथ ही यहां शाहजहां के सबसे बड़े बेटे दारा शिकोह की भी कब्र है । इसके अलावा यहां शाही दरबार के कई सदस्यों की भी कब्रें हैं।
Humayun’s Tomb: ताजमहल भी बनवाया गया है इस मकबरे की तर्ज पर
- जब इस मकबरे का निर्माण किया गया था , तब यहां से यमुना नदी दिखाई देती थी । इसी कारण यहां मकबरा बनाया गया ।
- भारतीय उपमहाद्वीप में मुगल काल का पहला मकबरा होने के कारण अन्य सभी मकबरे इसी की तर्ज पर तैयार किए गए।यहां तक कि सात अजूबों में शामिल ताजमहल भी इसी तर्ज पर बनाया गया है।
- जिस तरीके से ताजमहल महल को शाहजहां द्वारा अपनी बेगम मुमताज़ के लिए बनवाया गया था। इसी प्रकार हुमायूँ के मकबरे को रानी हमीदा बानो बेगम (हाजी बेगम) द्वारा हुमायूँ की याद में बनवाया गया था।
Humayun’s Tomb: मकबरा परिसर में देखने लायक चीजें
सम्राट के मकबरे के अलावा, कई अन्य मकबरे और स्मारक इस परिसर का हिस्सा हैं, जिनमें शामिल हैं:
- ईसा खान का मकबरा और मस्जिद, एक गुंबददार परिसर जो मुख्य मकबरे से 20 साल पुराना है
- अरब सराय, मकबरा बनाने वाले कारीगरों के लिए एक विश्राम गृह
- अफसरवाला मकबरा और मस्जिद
- बू हलीमा का मकबरा और उद्यान, एक उद्यान परिसर जिसमें मकबरा एक ऊंचे मंच पर रखा गया है
- नीला गुम्बद, एक गुंबद वाला अष्टकोणीय मकबरा
- चिल्लाह निज़ामुद्दीन औलिया, दिल्ली के संरक्षक संत निज़ामुद्दीन औलिया का निवास स्थान
- नाई-का-गुम्बद, शाही नाई का मकबरा
- हुमायूं की पत्नियों में से एक और अकबर की मां हमीदा बेगम की समाधि
- शाहजहाँ के सबसे बड़े पुत्र दारा शिकोह की समाधि।
Humayun’s Tomb: हुमायूँ के मकबरे का सांस्कृतिक महत्व
हुमायूँ का मकबरा भारत के इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसने ताजमहल जैसे कई अन्य मकबरों को प्रेरित किया है। फ़ारसी और भारतीय स्थापत्य शैली के मिश्रण से निर्मित, हुमायूँ का मकबरा भारत में मुग़ल वास्तुकला का पहला उदाहरण है। बेगा बेगम ने अपने पति हुमायूँ की याद को बनाए रखने और इतिहास में उनके स्थान को सुनिश्चित करने के लिए इस संरचना का निर्माण किया था।
1993 में , इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया था और यूनेस्को के बयान के अनुसार , इस मकबरे को भारतीय उपमहाद्वीप का पहला उद्यान-मकबरा’ माना जाता है । यह दिल्ली के शीर्ष पर्यटक आकर्षणों में से एक है , जो दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है ।
Humayun’s Tomb: कब जाए हुमायूं का मकबरा घूमने?
दिल्ली के इस खूबसूरत ऐतिहासिक पर्यटन स्थल की ओर आप किसी भी मौसम में रुख कर सकते हैं , लेकिन वसंत और सर्दियों का मौसम यहां घूमने के लिए अच्छा समय है । दरअसल, गर्मियों के दौरान , मानसून के मौसम में गर्मी और बारिश आपकी यात्रा योजनाओं में बाधा बन सकती है ।
Humayun’s Tomb: हुमायूँ के मकबरे का समय
पर्यटकों के लिए हुमायूं का मकबरा सुबह 6:00 बजे से लेकर शाम 6:00 बजे तक खुला रहता है।
Humayun’s Tomb: टिकट और खर्च
- हुमायूं के मकबरे में प्रवेश करने के लिए सबसे पहले भारतीय नागरिकों, बिम्सटेक और सार्क देशों के आगंतुकों के लिए 35 रुपये का प्रवेश शुल्क देना होगा ।
- इसी तरह, अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए यहां प्रवेश शुल्क लगभग 500 रुपये है , और 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है । अगर
- आप मकबरे के अंदर वीडियोग्राफी करना चाहते हैं , तो आपको उसके लिए 25 रुपये अतिरिक्त देने होंगे ।
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